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Showing posts from January, 2019

प्रदेश के कई हिस्से शीतलहर की चपेट में, सुबह से धूप खिली, लेकिन सुबह-शाम बढ़ी ठिठुरन

लगातार तीन दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच सोमवार को भी ज्यादातर हिस्सों में ठंड से राहत नहीं मिली। मौसम विभाग ने सोमवार को आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर शीतलहर चलने की चेतावनी दी गई है। भोपाल में न्यूनतम तापमान में 0.9 डिग्री की गिरावट आई और ये 6.4 डिग्री दर्ज किया गया। हालांकि भोपाल में सुबह से धूप खिली है, लेकिन सर्द हवा चलने से ठिठुरन बढ़ गई है। शनिवार और रविवार की रात को दर्ज किए गए न्यूनतम तापमान में 3.5 डिग्री से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी। जहां शनिवार को न्यूनतम तापमान 11.0 था, वहीं रविवार को 7.5 दर्ज किया गया। वहीं, चार दिन में 4.6 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। सर्द हवाओं ने बढ़ाई ठंड प्रदेश में कई स्थानों पर हल्की बारिश और ओला गिरने के बाद अब आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर शीतलहर चल रही है। राज्य के पूर्वी औ र पश्चिमी हिस्से में आने वाले अधिकांश स्थानों पर दोनों ही तापमान में गिरावट आने से ठंड और बढ़ गई है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक उदय सरवटे ने बताया कि मौसम का रुख अभी बदलने की उम्मीद नहीं है। अगले दो दिन तक यही स्थिति बनी रह सकती है। राज्य के नरसिंहपुर, खजुराहो,

अमरीका क्या सहयोगी कुर्द लड़ाकों को तुर्की के क़हर से बचा पाएगा?

पिछले महीने अमरीका राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि सीरिया में चरमपंथी संगठन आईएसआईएस के खिलाफ लड़ रहे अमरीकी सैनिकों को वापस बुलाया जाएगा. ट्रंप ने यह फैसला सीरिया के पड़ोसी देश और नेटो के अपने सहयोगी राष्ट्र तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तेयेप अर्दोआन से बातचीत के बाद लिया था. मगर इस फैसले के एक महीने से भी कम समय में तुर्की और अमरीका के बीच नया विवाद पैदा हो गया है. तुर्की ने ऐलान किया है कि वह सीरिया में आईएसआईएस के ख़िलाफ़ बड़ा अभियान छेड़ेगा. मगर आशंका जताई जा रही है कि इसकी आड़ में तुर्की वहां पर मौजूद कुर्द लड़ाकों पर हमले कर सकता है. चूंकि कुर्द लड़ाकों ने सीरिया में आईएसआईएस के ख़िलाफ़ लड़ाई में अमरीकी सेना का सहयोग किया था, ऐसे में अमरीका तुर्की को चेताया है कि अगर उसने कुर्दों पर हमले किए तो तुर्की को आर्थिक रूप से तबाह कर दिया जाएगा. एक तरफ़ तुर्की है जो रणनीतिक रूप से अमरीका का अहम सहयोगी है, वहीं दूसरी तरफ़ कुर्द लड़ाके हैं, जिनके बिना अमरीका आईएसआईएस के ख़िलाफ़ जंग में इतनी क़ामयाबी हासिल नहीं कर पाता. कुर्द लड़ाकों को ट्रेनिंग और हथियार अमरीका से मिले है

अयोध्या मामले की सुनवाई से क्यों हटे जस्टिस यू यू ललित?

सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि मामले में गुरुवार को उस वक्त नाटकीय मोड़ आया जब पाँच सदस्यों की संवैधानिक पीठ के एक जस्टिस यू यू ललित ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. जस्टिस ललित ने ये फ़ैसला एक मुस्लिम पक्ष के याचिकाकर्ता के वकील राजीव धवन की इस आपत्ति के बाद किया कि जस्टिस यू यू ललित अयोध्या के एक आपराधिक मामले में बतौर वकील पेश हो चुके हैं. राजीव धवन ने कहा है कि जस्टिस ललित अयोध्या आपराधिक मामले में 1997 में कल्याण सिंह की तरफ़ से पेश हुए थे. धवन ने कहा, "महामहिम, जस्टिस ललित 1997 में एक बार अयोध्या आपराधिक मामले में कोर्ट में पैरवी कर चुके हैं, इसलिए उन्हें बेंच का हिस्सा नहीं होना चाहिए." धवन की इस आपत्ति के बाद संवैधानिक पीठ के पाँच न्यायाधीशों- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने विचार विमर्श किया. बाद में, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि जस्टिस यू यू ललित इस मामले को नहीं सुनना चाहते, इसलिए इस सुनवाई को अभी स्थगित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले क

पहली जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है नए साल का जश्न

लेकिन आपने कभी सोचा है कि जनवरी ही साल का पहला महीना क्यों है या फिर एक जनवरी से ही साल क्यों शुरू हो रहा है. दरअसल, जनवरी, रोमन कैलेंडर के मुताबिक़ साल का पहला महीना है. इस कैलेंडर को रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने 2,000 साल पहले शुरू किया था. लेकिन आप इसका श्रेय केवल जूलियस सीज़र को नहीं दे सकते, इसका श्रेय ग्रेगोरिया तेरहवें पोप को भी दिया जा सकता है. दरअसल, प्राचीन रोमन में जनवरी एक महत्वपूर्ण महीना था क्योंकि यह वहां के ईश्वर जेनस के नाम पर रखा गया था. रोमन परंपराओं के मुताबिक़ जेनस को दो चेहरों यानी 'शुरुआत और ख़त्म' का भगवान कहा जाता है. इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्मिंघम के प्रोफ़ेसर डायना स्पेंसर बताती हैं, "यह एक साथ आगे और पीछे, दोनो वक़्त को देखने से जुड़ा है. ये भी कह सकते हैं कि साल में कोई मौक़ा ऐसा हो जब कोई फ़ैसला लेना हो तो हम यहीं से शुरुआत कर सकते हैं." जनवरी को साल का पहला महीना बनाए जाने के पीछे ये बात तार्किक लगती है. ये वही वक़्त होता है जब यूरोप में दिनों की लंबाई दक्षिणायण के बाद बढ़नी शुरू होती है. प्रोफ़ेसर स्पेंसर बताती ह