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प्रियंका गांधी भाई राहुल गांधी पर भारी नहीं पड़ना चाहतीं: नज़रिया

वो साल 2003 का पतझड़ था. अटल बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे थे. बीजेपी ने ये तीनों ही चुनाव जीते थे. राजस्थान के रेगिस्तान में जब उन्होंने चुनावी सभा को संबोधित किया तो हवा में एक नमी सी थी. उन्होंने हवा की ख़ुशबू ली और अपना भाषण शुरू करते हुए कहा, "मौसम बदल रहा है." भीड़ को उनकी बात समझने में देर नहीं लगी और माहौल तालियों और ठहाकों से गूंज उठा. अहमदाबाद में मंगलवार 12 मार्च को जब कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक हुई तो हवा में कुछ वैसा ही अहसास था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर अपना पहला भाषण दिया. सार्वजनिक बैठक में वो सिर्फ़ पांच-छह मिनट ही बोलीं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मुद्दों, जैसे रफ़ाल घोटाला, बड़े व्यापारियों को दी गई मोदी सरकार की छूट आदि पर कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होंने लोगों से उन सभी वादों को याद करने के लिए कहा जो पूरे नहीं किए गए और यह कहते हुए उन्होंने मोदी का नाम भी नहीं लिया. उन्होंने लोगों से कहा- सोचो और फ़ैसला करो. जो लोग तुम्हारे सामने बड़